नया साल आया ....फिर एक वादा अपने-आप से...फिर एक दिलासा ....एक मौका अपनी नाकामियों पर परदा डालने का....
नया साल की पहली सुबह ही कल्पना और सपनो से शुरू होती है....और अंत पिछले साल की गलतियों पर परदा डालने में होता है....पिछले २० सालो से यही सब कुछ करता आ रहा हूँ। और अपने आस-पास भी यही कुछ देखता आ रहा हूँ। हर साल की शुरुआत में कुछ वादे आपने-आप से करता हूँ और साल के दुसरे ही दिन भूल भी जाता हूँ। फिर वो ही .....दुनिया....वो ही...रस्ते...वो ही सब कुछ.......
३१ दिसम्बर की रात को जो-जो सोचा .....वो सब कुछ साफ....मंजिल...सपने...रास्ते...सोच...सब छु-मंतर....
सोचता हूँ की आख़िर ऐसा क्यों करता हूँ?
अपनी बनाई मंजिल...अपने सोचे रस्ते पर.....दो दिन भी क्यों नही कायम रह पता.....
???
शायद मैं अब तक अपने जीवन को लेकर गंम्भीर नही हुआ हूँ।
.....शायद ....
शायद नही ....ये ही सच है। मैं आज तक अपने काम को लेकर गंम्भीर हुआ ही नही हूँ....
और इसी लिए कामयाबी से दूर भी रहा हूँ......
सच्चाई से पीछा छुडाकर अपने ही मैं मस्त रहा ......
पर अब पता चला की मैंने क्या खो दिया इस बीच ....काफी कुछ करने की हिम्मत के बाद भी कुछ NAHI कर सका....सब अपनी कमजोरी के कारण....
..................देखा ...मैं कितनी जल्दी अपनी गलती मान भी लेता हूँ...पर एक बात और......इसी गलती को Hआर साल दोहराता भी रहता हूँ....
और एक बात......ऐसा करने वाला मैं अकेला नही हूँ.....मेरे कई साथी भी है....क्या आप भी ऐसा करते हो?
अगर हाँ ......तो आप भी मेरी तरह कामयाबी से थोड़ा दूर ही रहते हो.....है ना....
चलो...कोई बात नही...नेताओ की तर्ज पर एक बार फिर वादा कर लेते है....वर्षः २००९ के लिए........
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