Sunday, 18 January 2009

रिश्ते....


दोस्ती और रिश्तो दो ऐसी चीजे है जिनके बिना जिन्दगी काफी निराश हो जाती है। रंगहीन हो जाती है। ये बात सभी जानते है। इसी लिए दोस्ती और रिश्तो को बचाए रखने के लिए सब कुछ दाव पर लगा भी देते है।

पर .... कुछ लोग मेरी तरह भी होते है... जिनको इन दोनों बेशकीमती हीरे की भी कदर नही होती... बस अपने इगो को पुरा करने में दो अनमोल हीरो को टुकरा देते है। अभी इस हफ्ते की शुरुआत में ही मेने एक दोस्त ....एक रिश्ते को ठोकर मार दी ....अपने इगो के चलते....ये बात नही की मुझे दोस्त से दूर जाने का गम नही है....रिश्ते की टूटन से मुझे भी दर्द है....पर इगो के चलते मैं ये दर्द और गम भी उठाने को तैयार हूँ....तैयार क्या ... उठा ही रहा हूँ.... ।
असल में सभ्य समाज में रहते हुए भी मेरे जैसे कई लोग है जो जीवन को कभी गंभीरता से लेते ही नही...बस अपनी ही धुन में चलते रहते है... और जब कोई इस धुन में रूकावट डालता है तो उसे सहन भी नही कर पते ..... वे इस बात को कभी नही मानते की दोस्त बनाया है तो वो आपकी जिन्दगी में किंतु-परन्तु जरुर करेगा .....और जब वो किंतु-परन्तु करेगा तो धुन में रूकावट जरुर आएगी...ऐसे में अगर इगो जाग जाए तो ......दोस्ती...और रिश्तो में टूटन आएगी ही.... ।
और सच तो यही है की जहा इगो की जगह रहती हैवहाँ कभी कोई रिश्ता बन ही नही सकता....मेरे अन्दर इगो ज्यादा होने के कारण मैंने एक और दोस्त ....एक और रिश्ते को खो दिया है सदा के लिए.... । क्या आप भी मेरे तरह ही हो? यदि हाँ ...... तो समय रहते तुम भी अपने बारे में विचार करो मेरी तरह अपने-आप पर.......वरना...जिन्दगी के खुबसूरत रंग हमसे एक-एक करके दूर होते जायेगे....धीरे...धीरे.... एक खामोशी के साथ....बिना किसी आहत के .... । हमारी झोली में रह जायेगे बस दर्द...शिकायते....और पछतावा.... और हमारा झुटा इगो।

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